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4 May 2024 · 1 min read

गर तू गैरों का मुंह ताकेगा।

अपनी ताकत भूल के गर तू गैरों का मुंह ताकेगा।
इस दर से उस दर तक पूरी उम्र तू पतरी चाटेगा।
*****
कई पीढियां गुजर चुकी हैं लापरवाही झेल रहा।
तुझे हिकारत मिलेगी जब तक हाथ जोड़कर मांगेगा।
*****
सोच रहा है आये कोई तेरे सारे दुःख हर ले।
ऐसी प्रत्याशा के पीछे कह दे कब तक भागेगा।
*****
लोग जहाँ में बढ़ते जाते उलटे सीधे काम किये।
कायरता के चरखे पर तू कब तक खादी कातेगा।
*****
लुटता कटता पिटता मरता क्रमशः छीण हुआ है तू।
इसे भूलकर कब तक अपने शौर्य की डींगे हांकेगा।
*****
लिखा हुआ है सबकुछ उस पर चलकर जीकर देख कभी।
कब तक अपने ग्रन्थों को तू तोता बनकर बांचेगा।
*****
“नज़र” न अब भी नज़र सुधारी नामशेष रह जाओगे।
मिस्र पर्शिया रोमन बनकर तू इतिहास से झांकेगा।
*****
कुमारकलहँस

Language: Hindi
14 Views
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