दशहरा
अश्विन मास की दशम को आता है त्यौहार
नव नवरातें पूर्ण होते दशम दशहरा त्यौहार
बुराई पर अच्छाई जीत प्रतीक यह त्यौहार
हर्षोल्लास मनाते जन गण दशहरा त्यौहार
महाज्ञानी पण्डित रावण,पर था अभिमानी
अहम में किया सीताहरण कमाई बदनामी
सोने की लंका लंकेश्वर भूल गया भगवान
रग रग में घमंड भर गया ना था मानसम्मान
अहम का अंत करने आया विष्णु अवतार
दशरथ सुत राम ने मारा रावण रूप अहंकार
दशमी पर विजयी ,विजयदशमी कहलाया
पाप पुण्य से हारा दिवस दशहरा कहलाया
उस दिन से रीत बनी अब तक चलती आई
रामलीला बाद अंत में रावण दहन की दुहाई
प्रीति भोज मिष्ठान है बनते खाते लोग लुगाई
रंग बिरंगे कपड़े पहनते खाते हैं खूब मिठाई
सजते हैं बाजार दशहरे के मेले मनाये जाते
मेले में बच्चों को हैं खूब झूले हैं झुलाए जाते
कानों को खूब पटाखों का शोर सुनाई पड़ता
प्रसन्नचित हर्षोल्लासित दशहरा मनाया जाता
दीवाली तक दशहरा का नशा है छाया रहता
अगले साल फिर दशहरे का इंतजार है दहता
सुखविंद्र सिंह मनसीरत