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7 Jun 2022 · 1 min read

दर्द लफ़्ज़ों में

नैन अपने यूँ ही न खोये है ।
दर्द लफ़्ज़ों में लिख के रोये हैं ।।

जागी आँखें गवाही दे देंगी ।
नींद अपनी कभी न सोये हैं ।।

दिल शिकस्ता नहीं हुआ यूँ ही
बोझ इस ने ग़मों के ढोये हैं ।।

कुछ निशाँ फिर भी रह गए बाक़ी ।
दागे दिल आँसुओं से धोये हैं ।।

ख़ार वो बो रहा है बोने दो ।
हम ने लेकिन गुलाब बोये हैं ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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