दर्द ऐसा था जो लिखा न जा सका
#दर्द ऐसा था जो लिखा न जा सका
अब रब भी सब्र का इम्तिहान लेता था,
शिकायत खुदा से रोज़ कर न सका।
अंतर्मन ध्वनि सुनकर पन्ने पर लिख रहा था,
हाथ कलम का साथ दे न सका।
सब्र से दिल मेरा कागज पर लिख रहा था,
दर्द ऐसा था जो लिखा न जा सका।
बार बार सोचकर मन शब्द खोज रहा था,
दर्द कागज़ पर दिल लिख न सका।
दवा काम ना आये ना वैद्य काम आ रहा था,
जख्म ऐसा था जिसका घाव भर ना सका।
जिंदगी सरल थी पर रास्ता कठिन था,
निर्भय दिल को चैन आ न सका।
मन के विश्वास का चमन सुख रहा था,
विश्वास के पेड़ बड़े थे पानी दे ना सका।
साथ मेरे कविता, गीत भी रो रहा था,
कलम का साथ कागज दे ना सका।
दिल पटल पर स्याही का फव्वारा उडा था,
दाग इतने गहरे हुए घिसकर धो ना सका।
सब्र से दिल मेरा कागज पर लिख रहा था,
दर्द ऐसा था जो लिखा न जा सका…………
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित
कृष्णा वाघमारे, जालना, महाराष्ट्र.