दरारें दिल की
दरारें दिल की
हल्की दरारें दिल की
इतनी गहरी होती है
अंधी खाई हो जैसे
गंगा जमुना बह कर
पसर जाए
सोख लेती नदियों को
बना देती एक झील
जिसमें सड़ता रहेगा पानी
फैलता रहेगा विष
उठती रहेगी कराहें
फिर उठेगी लपटें
किसी का घर
किसी का चमन
किसी की बस्ती
और पूरा मुल्क
जलाने के लिए।
यतीश १५/१/२०१८