तो अब यह सोचा है मैंने
तो अब यह सोचा है मैंने,
और यह किया है फैसला,
तुम्हारे और मेरे बारे में,
ताकि हम दोनों जी सके,
बिना किसी गलतफहमी के।
तो अब यह सोचा है मैंने,
तू मत करना यह उम्मीद,
कि मैं कुछ चाहता हूँ तुमसे,
और वफ़ा हूँ सिर्फ तुमसे,
अब ऐसा नहीं है,
अब चाहे कुछ भी कर तू ,
दे दी है मैंने तुमको आजादी।
तो अब यह सोचा है मैंने,
और तोड़ रहा हूँ तुमसे बन्धन,
रिश्ता अपने पवित्र प्यार का,
शायद यह तुमको अच्छा नहीं लगे,
लेकिन अब नहीं है मतलब तुमसे।
तो अब यह सोचा है मैंने,
चमकेगा मेरा सितारा भी,
तुम्हारे बिना इस जमीं पर,
और नजर आयेगा तुमको भी,
तुम्हारा चेहरा चमकता हुआ,
मैं तटस्थ रहना चाहता हूँ तुमसे।
तो अब यह सोचा है मैंने—————————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)