बुराई करना कभी भी तर्क संगत नही हो सकता,
बुराई करना कभी भी तर्क संगत नही हो सकता,
इससे मानसिक कचरा तो बढ़ जाता ही है,
औरो का हृदय भी दुःख जाता है।
बुराई करना कभी भी तर्क संगत नही हो सकता,
इससे मानसिक कचरा तो बढ़ जाता ही है,
औरो का हृदय भी दुःख जाता है।