तेरे अंदर भी कुछ बात है
रे मन तू इतना मत हो उदास
तेरे अंदर भी कुछ बात है
तू अपना कर सकता है विकास।
माना खायी दर-दर की तूने
ठोकर अब तक जीवन में
अरे बड़े मजबूत है तेरे कदम
मत हो तू थोड़ा भी हताश
मुझे तुझ पर है पूरा भरोसा
तू अपना कर सकता है विकास।
मुसीबतो से टक्कर लेना
तुझे अच्छे से आता है।
गुलाब कांटों में ही खिलता है
रे मन तू यह जानता है।
अनेक विफलता देखकर भी
मत होना तू जरा भी निराश
मुझे तुझ पर है पूरा भरोसा
तू अपना कर सकता है विकास।
-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’