तेरी यादों के सहारे….
तेरी यादों के सहारे, जीने की ठान ली है।
दिल ने भी अब हमारे, ये बात मान ली है।
तकतीं थीं राह कभी, पलक-पाँवड़े बिछाए,
तुम बिन अब जीएँगी, आँखों ने आन ली है।
आएगा न कभी अब, जुबां पे नाम तुम्हारा,
खुद से भी आज हमने, यही जबान ली है।
होकर दूर तुमसे, रंग निखरा और चाहत का,
ले विछोह की जाली, उल्फ़त भी छान ली है।
आओगे याद जब तुम, दिल में निहार लेंगे,
हासिल न कुछ रोने का, ये बात जान ली है।
बना रहे नेह यूँ ही, लगे न नजर किसी की,
हमने अब जमाने की, रग-रग पहचान ली है।
हैसियत जान ली अपनी, रखेंगे पाँव भीतर,
कर ली हैं बंद आँखें, चादर भी तान ली है।
बढ़ेंगे न हद से आगे, ‘सीमा’ में अपनी रहेंगे,
आकर जहां में जहां की हर बात जान ली है।
– © डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)
“अभिजना” से