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29 Dec 2020 · 1 min read

तेरी चाहत में

मापनी –212 122 222 212

दिल भटक भटक कर बंजारा हो गया।
(तेरी चाहत में।)

दिल तड़प तडफ़ कर आवारा हो गया। ( तेरी चाहत में )

तुम तो हाथ मेरे आओगी भी नही ।
सोच कर यही मधु बेचारा हो गया।

बात मेरि अब यह सुनता भी है कहाँ
जब से दिल मिरा यह तुम्हारा हो गया।

मेहमान जब से तुम बनकर आ गई।
रोशनी सा दिल मे उजियारा हो गया।

अब तो बस लगे यह दुनियाँ ही दोगली।
ख़ाक साजमाना यह सारा हो गया।
कलम घिसाई

5 Likes · 4 Comments · 466 Views
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