तू तिलिस्म गहरा
रुख़ तेरा मह-पारा
मैं लापता बंजारा
तू तिलिस्म गहरा
मैं अभिमन्यु बेचारा
मोम से दो हाथ मेरे
जिस्म तेरा अंगारा
एक बार देख लूं तुझे
ख़ुशी से मरूं आवारा
देखता हैं तेरी आँखे
आसमाँ से कोई सय्यारा
– जॉनी अहमद “क़ैस”
रुख़ तेरा मह-पारा
मैं लापता बंजारा
तू तिलिस्म गहरा
मैं अभिमन्यु बेचारा
मोम से दो हाथ मेरे
जिस्म तेरा अंगारा
एक बार देख लूं तुझे
ख़ुशी से मरूं आवारा
देखता हैं तेरी आँखे
आसमाँ से कोई सय्यारा
– जॉनी अहमद “क़ैस”