तुलसी
तुलसी की परिकल्पना, रामचरित यशगान।
सुरभित पुष्प पराग इव,भक्त करें मधुपान।।
भक्त करें मधुपान, सदा अन्तस हरषाई।
कृपा करें हनुमान,सिया सँग श्री रघुराई।।
धन्य आत्माराम, तात अरु माता हुलसी।
जायो सुत श्रीराम ,भक्त गुणगायन तुलसी।।
डा.मीना कौशल
प्रियदर्शिनी