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4 Mar 2022 · 1 min read

“चांद है पर्याय हमारा”

हमें सुला लो ऐ! उपवन,
अपने बेदाग सायें में।
दाग लगा मुझ पर,
चांद सा ,
बेदाग अपने राहों में ।
इसलिए जल रहा ये चांद,
देखकर उस चांद को,
चांद हैं पर्याय हमारा,
जीभर के छुड़ा लें,
अपने दाग को।।

वर्षा (एक काव्य संग्रह) से/ राकेश चौरसिया

Language: Hindi
1 Like · 187 Views
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