तुम भी तो आजकल हमको चाहते हो
कि जब – जब ये दिल उदास हो जाता है,
ये पास बस एक तुमको चाहता है।
कि मरहम जैसा इश्क़ मुझे तुम्हारा लगता है,
दर्द को मेरे जैसे दुआ लगता है।
तुम भी तो आजकल मंदिरों में जाते हो,
भगवान के सामने मेरी खुशियाँ मांगते हो।
पर क्यों फिर मुझको जताने से डरते हो,
सच तो ये है कि शायद तुम भी मुझसे प्यार करते हो।।
यूँ बार – बार जाना और फिर लौट कर आना,
मेरे दर्द का तुमको भी एहसास है।
और जब आते हो करीब मेरे तो जीने की वजह देते हो
क्या मोहब्बत का तोहफा इससे भी कोई खास है।।
तुमसे बिछड़ने का नही तुमसे बस इश्क़ करने का हमारा अरमान है।
मेरे इश्क़, मेरे सारे लफ्ज़ो से पिरोयी शायरियाँ सब तेरे नाम है।।