तुम बिन
तुम बिन, ये दिन थम सी जाती हैं,
हर सुबह अधूरी, हर रात बेअंत लगती हैं।
तुम्हारी आवाज की ख्वाहिश दिल में बसी हैं,
तुम्हारी यादों का जादू अंदर तक बसी हैं।
तुम बिन, ये दिल बेख़बर रह जाता हैं,
प्यार के रंगों से रूठा, बेज़ार रह जाता हैं।
तुम्हारी मुस्कान की मिठास खोई सी लगती हैं,
तुम्हारे होंठों की छांव सूनी सी रह जाती हैं।
तुम बिन, ये ऑंखें सोचती रह जाती हैं,
तुम्हारे साथ गुज़रे पलों को खोजती रह जाती हैं।
तुम्हारे साँसों के स्पर्श की महक आज भी है,
तुम्हारी आदतों की खुशबू से आँगन गुलजार आज भी है।
तुम बिन, ये ज़िंदगी अधूरी सी रह जाती हैं,
तुम्हारे साथ बिताए हर पल की कहानी रह जाती हैं।
तुम्हारे बिना सब कुछ वीराना सा लगता हैं,
तुम्हारी यादों में ही दिल धड़कता हैं।
तुम बिन, ये शब्द बेबस सी रह जाते हैं,
कहानी के पन्नों में तुम्हारे ही लफ़्ज़ रह जाते है।
अब जब भी मेरी नजर उठती है,
तुम्हारी याद दिलाती है कि ज़िन्दगी अधूरी है।
©✍️ शशि धर कुमार