Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jan 2024 · 1 min read

तुम्हें क्या लाभ होगा, ईर्ष्या करने से

किसी की देख सफलता, आहे भरने से।
कुछ नहीं मिलता, कुछ नहीं मिलेगा।।
तुम्हें क्या लाभ होगा, ईर्ष्या करने से।
तू खुद ही जलेगा, कुछ नहीं मिलेगा।।
किसी की देख सफलता——————-।।

रोता रहा है तू हमेशा, किस्मत का रोना।
करता रहा है तू हमेशा, जादू – टोना।।
हमेशा दिया है तुमने, दोष खुदा को ही।
बिन मेहनत तुमको, कुछ नहीं मिलेगा।।
किसी की देख सफलता—————–।।

भूलकर अपनी जमीं, तुमने सोहबत की ऐसी।
देखा नहीं अपना घर, मोहब्बत तुमने की ऐसी।।
बेच दिया तुमने तो, अपना घर और ईमान।
सिर्फ ख्वाबों से ही कभी, महल नहीं बनेगा।।
किसी की देख सफलता——————–।।

जब आया अवसर तो, डूबा रहा तू मस्ती में।
अहम- दौलत के नशे में, जीता रहा तू बस्ती में।।
धन बहुत लुटाया तुमने, यहाँ सदा मधुशाला में।
तेरे ऐसे कर्मों से कभी तुम्हें, सुख नहीं मिलेगा।।
किसी की देख सफलता——————।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
Tag: गीत
75 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
संगीत में मरते हुए को भी जीवित करने की क्षमता होती है।
संगीत में मरते हुए को भी जीवित करने की क्षमता होती है।
Rj Anand Prajapati
विरह
विरह
नवीन जोशी 'नवल'
फ्राॅड की कमाई
फ्राॅड की कमाई
Punam Pande
कसीदे नित नए गढ़ते सियासी लोग देखो तो ।
कसीदे नित नए गढ़ते सियासी लोग देखो तो ।
Arvind trivedi
महाकविः तुलसीदासः अवदत्, यशः, काव्यं, धनं च जीवने एव सार्थकं
महाकविः तुलसीदासः अवदत्, यशः, काव्यं, धनं च जीवने एव सार्थकं
AmanTv Editor In Chief
एक पत्नी अपने पति को तन मन धन बड़ी सहजता से सौंप देती है देत
एक पत्नी अपने पति को तन मन धन बड़ी सहजता से सौंप देती है देत
Annu Gurjar
■ मुक्तक...
■ मुक्तक...
*Author प्रणय प्रभात*
बीज और बच्चे
बीज और बच्चे
Manu Vashistha
"दिमाग"से बनाये हुए "रिश्ते" बाजार तक चलते है!
शेखर सिंह
कितना रोके मगर मुश्किल से निकल जाती है
कितना रोके मगर मुश्किल से निकल जाती है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
हालात ए वक्त से
हालात ए वक्त से
Dr fauzia Naseem shad
*माँ*
*माँ*
Naushaba Suriya
मैं अकेली हूँ...
मैं अकेली हूँ...
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
राजनीति अब धुत्त पड़ी है (नवगीत)
राजनीति अब धुत्त पड़ी है (नवगीत)
Rakmish Sultanpuri
दबी जुबान में क्यों बोलते हो?
दबी जुबान में क्यों बोलते हो?
Manoj Mahato
चला आया घुमड़ सावन, नहीं आए मगर साजन।
चला आया घुमड़ सावन, नहीं आए मगर साजन।
डॉ.सीमा अग्रवाल
2870.*पूर्णिका*
2870.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नारी
नारी
विजय कुमार अग्रवाल
जिंदगी तुझको सलाम
जिंदगी तुझको सलाम
gurudeenverma198
तुम मन मंदिर में आ जाना
तुम मन मंदिर में आ जाना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
नारी
नारी
Dr Parveen Thakur
राना दोहावली- तुलसी
राना दोहावली- तुलसी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
धैर्य.....….....सब्र
धैर्य.....….....सब्र
Neeraj Agarwal
कमरा उदास था
कमरा उदास था
Shweta Soni
छद्म शत्रु
छद्म शत्रु
Arti Bhadauria
*****वो इक पल*****
*****वो इक पल*****
Kavita Chouhan
शायरी संग्रह नई पुरानी शायरियां विनीत सिंह शायर
शायरी संग्रह नई पुरानी शायरियां विनीत सिंह शायर
Vinit kumar
"एक ही जीवन में
पूर्वार्थ
Jeevan Ka saar
Jeevan Ka saar
Tushar Jagawat
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
Loading...