तुम नजर आए
तुम इस तरह मेरे वजूद में उतर आए
देखा आईने में खुद को तो तुम नजर आए
भुला दिया तुमने मुझको एक पल में मगर
तुम जो बिछड़े तो मुझे याद उम्र भर आए
अभी भी है खुला दरवाजा बिछी हैं पलकें
है ये उम्मीद कि शायद तू लौटकर आए
बेइंतहां ये इंतजार हो गया ‘संजय’
अब तो तू आए या फिर तेरी खबर आए
मोहब्बत-ए-शहर में गाँव का छोड़ा दामन
गाँव की याद बहुत आई जब शहर आए