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11 Oct 2016 · 1 min read

तुम्हारे अंदर ही राम है,तुम्हारे अंदर ही रावण है/मंदीप

तुम्हारे अंदर सच है
तुम्हारे अंदर जूठ है
फिर क्यों अपने मन से जूठ नही निकलते।

तुम्हारे अंदर भगवान है
तुम्हारे अंदर सेतान है
फिर क्यों इस सेतान क्यों मन से नही निकलते।

तुम्हारे अंदर अछाई है
तुम्हारे अंदर बुराई है
फिर क्यों इस बुराई को अपने मन से नही निकलते।

तुम्हारे अंदर ही विस्वास है
तुम्हारे अंदर ही स्वार्थ है
फिर इस स्वार्थ को अपने मन से नही निकलते।

तुम्हारे अंदर ही गुण है
तुम्हारे अंदर ही अवगुण
फिर क्यों अपने मन से अवगुण को क्यों नही निकलते।

तुम्हारे अंदर ही राम है
तुम्हारे अंदर ही रावण है
फिर क्यों इस रावण को अपने मन से निकलते।

एक लाईन नारी जाति के लिए_

तुम्हारे अंदर ही माँ दुर्गा है
तुम्हारे अंदर ही सुरफनखा
फिर क्यों इस सुरफनखा को अपने मन से क्यों नही निकलते।

मंदीपसाई

Language: Hindi
577 Views
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