Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2023 · 1 min read

“तुम्हारी हंसी” (Your Smile)

जब तुम होते हो तब सब अच्छा लगता है,
दुनिया के सारे गम भूल जाता हूँ मैं।
तुम्हारी मुस्कान, तुम्हारी हंसी,
मेरी रूह को सुकून देती हैं।

तुझसे मिलने के बाद ज़िन्दगी में,
मैं नए सपने देखता हूँ हर दिन।
तुम्हारे बिना ज़िन्दगी का कोई मज़ा नहीं,
तुम्हारे साथ हर पल मुझे अच्छा लगता है।

तुम मेरी ज़िन्दगी का एक अहम हिस्सा हो,
तुम्हारे बिना जीवन अधूरा हो जाता है।
मेरी ज़िन्दगी की हर खुशी तुमसे है,
तुमसे ही मेरे ज़िंदगी का हर मौसम है।

तुम जो होते हो, वो सबसे अलग होते हो,
तुम्हारे जैसा कोई नहीं होता है।
तुम मेरे लिए सबसे प्यारे हो,
तुमसे होती है मेरी सारी बातें।

जब तुम होते हो तब सब अच्छा लगता है,
दुनिया के सारे गम भूल जाता हूँ मैं।
तुम्हारी मुस्कान, तुम्हारी हंसी,
मेरी रूह को सुकून देती हैं।

333 Views
Books from Sidhartha Mishra
View all

You may also like these posts

शाम, छत और लड़की
शाम, छत और लड़की
Shekhar Chandra Mitra
सभी भगवान को प्यारे हो जाते हैं,
सभी भगवान को प्यारे हो जाते हैं,
Manoj Mahato
*दिल चाहता है*
*दिल चाहता है*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
काश तुम मेरी जिंदगी में होते
काश तुम मेरी जिंदगी में होते
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
युग अन्त
युग अन्त
Ravi Shukla
लहरों पर होकर सवार!चलना नही स्वीकार!!
लहरों पर होकर सवार!चलना नही स्वीकार!!
Jaikrishan Uniyal
4464.*पूर्णिका*
4464.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
'शत्रुता' स्वतः खत्म होने की फितरत रखती है अगर उसे पाला ना ज
'शत्रुता' स्वतः खत्म होने की फितरत रखती है अगर उसे पाला ना ज
satish rathore
मुश्किल बहुत होता है मन को नियंत्रित करना
मुश्किल बहुत होता है मन को नियंत्रित करना
Ajit Kumar "Karn"
कितना भी कह लूं, कहने को कुछ न कुछ रह ही जाता है
कितना भी कह लूं, कहने को कुछ न कुछ रह ही जाता है
Shikha Mishra
सुख का मुकाबला
सुख का मुकाबला
Dr MusafiR BaithA
कवियों की कैसे हो होली
कवियों की कैसे हो होली
महेश चन्द्र त्रिपाठी
सियासत में आकर।
सियासत में आकर।
Taj Mohammad
एक दो गाना संस्कृत में
एक दो गाना संस्कृत में
मधुसूदन गौतम
*माँ सरस्वती जी*
*माँ सरस्वती जी*
Rituraj shivem verma
मन-क्रम-वचन से भिन्न तो नहीं थे
मन-क्रम-वचन से भिन्न तो नहीं थे
manorath maharaj
फितरत!
फितरत!
Priya princess panwar
अयोध्या धाम
अयोध्या धाम
Mukesh Kumar Sonkar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
20. सादा
20. सादा
Rajeev Dutta
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
जिसनै खोया होगा
जिसनै खोया होगा
MSW Sunil SainiCENA
■ शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर एक विशेष कविता...
■ शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर एक विशेष कविता...
*प्रणय*
नेता जी
नेता जी
Sanjay ' शून्य'
सुबह सुबह उठ कर उनींदी आँखों से अपने माथे की बिंदी को अपने प
सुबह सुबह उठ कर उनींदी आँखों से अपने माथे की बिंदी को अपने प
पूर्वार्थ
आत्मपरिचय
आत्मपरिचय
Rahul Pareek
अब लगती है शूल सी ,
अब लगती है शूल सी ,
sushil sarna
4 खुद को काँच कहने लगा ...
4 खुद को काँच कहने लगा ...
Kshma Urmila
बुंदेली दोहे- कीचर (कीचड़)
बुंदेली दोहे- कीचर (कीचड़)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आधुनिक हो गये हैं हम
आधुनिक हो गये हैं हम
Dr.Pratibha Prakash
Loading...