तुकांत कविता
हम हैं जवान रक्षक देश के, अडिग जानो हमारा अहद,
प्रबल चेतावनी समझो इसे, भूलकर पार करना न सरहद |
अत्याचार किया अबतक तुमने, हमने भी सहन किया बेहद,
सर्जिकल का नमूना तो देखा, अब तो पहचानो अपनी हद |
मानकर तुम्हे पडोसी हमने, दिया तुम्हे समुचित मान ,
उदारता को तुम कमजोरी समझे, हमारी शक्ति का नहीं कुछ ज्ञान |
याद करो इकहत्तर की लड़ाई, बांग्ला देश हुआ था तब आज़ाद,
अब लड़ोगे तो जायगा बलूच हाथ से, तुम हो जाओगे पूरा बर्बाद |
लड़ाई की धमकी देतो हो किन्तु, अंजाम का कुछ नहीं है ज्ञान,
नक़्शे पर कहीं नहीं होगा तब, पाकिस्तान का नामो निशान |
सोचो, बदल जाय माली अगर, कब्जे वाले आज़ाद काश्मीर का
क्या होगा अंजाम तब , पाक पोषित घृणित आतंक का ?
भोले भाले नौजवान आते भरने पेट, अपने और परिवार जनो के
जेहाद का भ्रमित विष पिलाकर, उन्हें बना देतो हो तुम आतंकी |
सरहद पार भारत में आकर, करते हैं वे भ्रष्ट, आतंकी उत्पात
अकाल मृत्यु सब करते हैं प्राप्त, होता परिवार पर उल्कापात |
सुनो, संभल जाओ, अभी समय है, बन जाओ अब थोड़ा अकल्मन्द
खड़े वीर जवान सरहद पर हमारे, अभेद्य, सुरक्षित है हमारी सरहद |
कालीपद प्रसाद
सर्वाधिकार सुरक्षित