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23 Apr 2024 · 1 min read

“तलाश”

“तलाश”
ओढ़ लेता हूँ बस तेरे ख्वाबों की चादर
हर रोज यूँ तेरे आने की आश रही,
ढूँढ़ा हर जगह तुझे यूँ बेशुमार ‘किशन’
निगाहों को साकी सिर्फ तेरी तलाश रही.

3 Likes · 3 Comments · 95 Views
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