तब और अब
तब और अब
तब विद्यालय की ख्याति अच्छी पढ़ाई से मिलती थी अब विद्यालय की ख्याति अच्छा इन्फ्रा स्ट्रक्चर और प्रचार से मिलती हैं |
तब बच्चे 100 तक पहाडा कंठस्थ करते थे अब 20 तक पहाडा खींच-खांच कर बच्चे याद करते हैं ।
तब सवैया,डयोढा, ढईया ,उठ्ठा आदि लोगों को याद था अब लोग इसका नाम भी प्राय: नहीं जानते ।
तब सामान लेने पर पैसा का हिसाब मुर्जवानी होता था अब कैलकुलेटर से होता है ।
तब स्कूली बच्चे भोर में उठते थे अब सूर्योदय के बाद उठाने पर उठते हैं ।
तब ड्रेस में सादगी थी अब ड्रेस शौकीनदार सूटेड ,बुटेड,कोटेड हो गया।
तब किताबें कम थी ,पढाई ज्यादा थी अब पढाई कम है किताबें ज्यादा हैं।
तब हम पढ़े-लिखे कम थे व्यवहारिक ज्यादा थे अब पढ़े-लिखे ज्यादा हैं व्यवहारिक कम हैं ।
तब नब्ज देखकर बीमारी का पता लगाया जाता था अब हजारों रुपये का हजार जांच करवाकर बीमारी का पता लगाया जाता है ।
तब खर्च कम था इलाज बेहतरीन थी अब इलाज घटिया है खर्च बेशुमार है ।
तब बच्चे का शादी-विवाह माता-पिता की मरजी से होता था अब बेटा-बेटी की मरजी से होती है ।
तब कुटुंब किसी फंक्शन में कार्य संभालने के लिए आते थे अब एंजॉय और औपचरिकता वश आते हैं ।
तब बड़े शहरों में संबंधियों यहाँ रात्रि विश्राम करते थे अब होटलों में रात्रि विश्राम करते हैं ।
तब लोग फेंकते कम थे, वादा निभाते थे अब फेंकते ज्यादा हैं, वादा तोड़ते हैं ।
तब आउट डोर खेल ज्यादा था अब इन डोर खेल ज्यादा है ।
तब दवाईयां कम थी तनदुरुस्ती ज्यादा थी अब दवाईयां ज्यादा है तंदुरुस्ती कम है।
तब आचरण की प्रधानता थी अब दौलत की प्रधानता है ।
तब शान्ति अधिक थी भागदौड़ कम था अब भागदौड़ ज्यादा है शान्ति कम है।
स्व रचित मौलिक