तपन जाति के नाम की
वेदनाओं की तपन में पला बड़ा
एक नाम के साथ दूसरे नाम से जुड़ा हूँ।
गरमाती रही जिसकी गूंज मुझे
जलता रहा उन नामो की जलन से
सबके बीच में रहा, पर रहा कटघरे में
समृद्ध था मैं, धन-धान्य से,फिर भी,
झुझता रहा कुछ हिस्से के लिए।
पहले इस नाम मे मेरा उद्धार छिपा था
अब तो फल-फूल गया हूं–
क्या करुगा कुछ हिस्सों का,
अब छोड़ दूं ये हिस्से गर मै,
तो पनपते हुए छोटे पौधों को जीवन दूँगा।
ये नाम मेरी पहचान नही हो सकती
ये नाम मुझे गौरवान्वित नही कर सकता।
मै योग्य हूँ, सक्षम बन हर सोच का खंडन करुगा।
मैं अब किसी नाम की कोई छाया नही बनुगा।
निधि