डोर
फूलो की माला मे अब डोर है कहाँ
सब कुछ है पर वो शोर है कहाँ
तिनका तिनका बिटोरा था हमने
बस तिनके ही है कुछ और है कहाँ
खनखती नही अब चूडिया
पुत्र भी पूछ बैठा,पिता ! ये डोर है कहाँ
तुम्हे मुझसे मिलाने वाली वो डोर है वहाँ
मुझसे ज्यादा प्रेम करने वाली वो चोर है वहाँ
तुम्हे पुत्र मुझे पिता बनाने वाली वो छोर है वहाँ
वो जन्नत थी मेरी,अब वो जन्नत हे वहाँ
पिता ! क्या वो डोर है, माँ ॽ
हाँ..पिरोया जो उसने हमे
तो फूल की माला हम बने
माला तो है,पर अब डोर है कहाँ…
शक्ति…