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18 Feb 2024 · 1 min read

दो घड़ी अयन फिर बच्चा हो गया

काली काली नीली भूरी
घन घनघन घनघोर घटायें
टिप टिप टुप टुप बूदें उछलें
बरसे पानी चले हवायें

अधगिरी दालान मे ऐठे बैठे
आधे बैठे आधे लेटे
कुर्सी से सर टेके टेके
कुछ जागे कुछ कुछ उनींदे

आँखें झपकीं लौटा बचपन
आंगन में हम छपक रहे थे
मेढ़क जैसे उछल रहे थे
लेट केे दरिया तैर रहे थे
नाव नवइया खेल रहे थे

बिजली लपकी यादें भागी
बदन तरबतर पलकें भीगी
बिस्तर भीगा खटिया भीगी
टेबल भीगा कुर्सी भीगी
छत से पानी टपक रहा था
कोने मे जुगनू चमक रहा था

चिंता मुश्किलें सब फीकी हो गई
जटिल परिस्थितियां हल्की हो गई
दो घड़ी ‘अयन’ फिर बच्चा हो गया
बचपन मे भीगकर अच्छा हो गया
दो घड़ी ‘अयन’ फिर बच्चा हो गया
(स्वरचित मौलिक रचना)
M.Tiwari”Ayan”

Language: Hindi
40 Views
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