*टूटे जब दो दॉंत एक दिन, गुड़िया रानी रोई (बाल कविता)*
टूटे जब दो दॉंत एक दिन, गुड़िया रानी रोई (बाल कविता)
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टूटे जब दो दॉंत एक दिन, गुड़िया रानी रोई
बोली “नहीं कभी मुख खोलूॅं, चाहे आए कोई”
मॉं ने तब समझाया “यह तो दॉंत दूध वाले थे
प्रभु ने सबके लिए सिर्फ यह, बचपन में पाले थे
नए दॉंत जल्दी आऍंगे, आओ नाचो गाओ
ई-रिक्शा में बैठो मेला, चलो घूम कर आओ”
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451