**टिप-टिप मेरे मेघ बरस**
आहट पाकर रिम-झिम रिम-झिम,
खग कुल की बदली है रौनक़,
दीख रही है मञ्जुल मञ्जुल,
किसलय की कोपल भी सुन्दर,
डाल डाल पर गीत बज रहे सरस,
टिप-टिप मेरे मेघ बरस।।1।।
जल अणु श्रेणी मोती जैसी,
चमक रहे हों सूरज अगणित,
छाया की भी छाया पाकर,
जैसा पिघल रहा हो काजल,
ठण्डक की आशा में सब रहे हर्ष,
टिप-टिप मेरे मेघ बरस।।2।।
उमड़ रही हैं घुमड़ रही हैं,
वायु संग में, कृष्ण घटाएँ,
रुक रुक कर इठलाएँ ऐसे,
नव प्रेमी जैसे इठलाएँ,
मिट्टी की खुश्बू के हेतु सब रहे तरस,
टिप-टिप मेरे मेघ बरस।।3।।
लुक-छिप लुक-छिप करता सूरज,
बादल लगता कनक गिरी है,
मध्यम मध्यम गिरती बूँदों से,
हरियाली भी चमक गई है,
प्रकृति दिखाती सुन्दर,अप्रतिम दरश,
टिप-टिप मेरे मेघ बरस।।4।।
©अभिषेक पाराशर??????