ज्ञान -दीपक
सूर्य डरता ना कभी भी, बदलियों के राज से।
कुछ समय तक छिपे पर वह,पुनि उगेगा नाज से।
मग के पत्थर रोक सकते न कभी आलोक-डग।
ज्ञान -दीपक जगमगाते, हर्ष बन ऋतुराज से।
पं बृजेश कुमार नायक
सूर्य डरता ना कभी भी, बदलियों के राज से।
कुछ समय तक छिपे पर वह,पुनि उगेगा नाज से।
मग के पत्थर रोक सकते न कभी आलोक-डग।
ज्ञान -दीपक जगमगाते, हर्ष बन ऋतुराज से।
पं बृजेश कुमार नायक