*जो न सोचा वो हूँ*
जो न सोचा होगा तुमने उसे जो करके दिखाया ,वो साहसी हूँ मैं।
गुरु दक्षिणा में जिसने दिया अँगूठा दान , वो एकलव्य हूँ मैं।
बलिदान देकर करें जो सरहद की सुरक्षा ,वो जवान हूँ मैं।
स्याही से लिखी शब्दों से बनी जो कहानी ,वो कलम हूँ मैं।
मिट्टी से बनी पयजल योग्य जो बनाया, वो सुराही हूँ मैं।
बिताए अपने साथियों के साथ जो पल, वो याद हूँ मैं।
आकाश में सूरज, चाँद, सितारों से बना जो आशियाना, वो बह्ममाण हूँ मैं।
लाड प्यार कर आँचल से जो लगाए, वो माँ हूँ मैं।
रंग- बिरंगे काग़ज़ों कन्नो से बँधी भरे जो उड़ान, वो पतंग हूँ मैं।
अच्छें विचारों का अनुसरण कर अपने आचरण में जो झलकाए, वो संस्कार हूँ मैं।
ज्ञान का पाठ पढ़।कर काबिल जो बनायें , वो शिक्षक हूँ मैं।
अग्नि में तपकर आभूषण जो बनाए ,वो सुनार हूँ मैं।
जो न सोचा होगा वो हूँ मैं।।
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😇 डॉ॰ वैशाली✍🏻