Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Dec 2019 · 1 min read

जोगा किले की सैर

सुबह सुबह कर योगा,
चल दिये देखने जोगा,
दिन आज सबसे छोटा,
साथ थे भाई सब मोटा,
मौसम था अति सुहावना,
दृश्य भी बड़ा लुभावना,
माँ नर्मदा का अथाह जल,
कितना स्वच्छ और निर्मल,
बीच टापू पर जोगा किला,
जैसे हो कोई फूल खिला,
बैठ नाव हम सब पहुँचे ,
सागौन के पेड़ ऊँचे ऊँचे,
चढ़कर आए किले पास,
दीवारे खड़ी थी लगा आस,
चहुँओर माँ नर्मदा बहती,
वैभव शौर्य की गाथा कहती,
सबने खूब आनन्द उठाए,
देख देख दृश्य मन को भाए,
किला की परिक्रमा कर,
लौट आए हम किनारे पर,
हरदा की यह शान है,
जोगा किला पहचान है,
।।।जेपीएल।।।

Language: Hindi
2 Likes · 253 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from जगदीश लववंशी
View all
You may also like:
खुद ही रोए और खुद ही चुप हो गए,
खुद ही रोए और खुद ही चुप हो गए,
Vishal babu (vishu)
हमेशा गिरगिट माहौल देखकर रंग बदलता है
हमेशा गिरगिट माहौल देखकर रंग बदलता है
शेखर सिंह
"अकेलापन"
Pushpraj Anant
सज्जन से नादान भी, मिलकर बने महान।
सज्जन से नादान भी, मिलकर बने महान।
आर.एस. 'प्रीतम'
सत्य कभी निरभ्र नभ-सा
सत्य कभी निरभ्र नभ-सा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
आता सबको याद है, अपना सुखद अतीत।
आता सबको याद है, अपना सुखद अतीत।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
कुछ नहीं.......!
कुछ नहीं.......!
विमला महरिया मौज
अर्थ का अनर्थ
अर्थ का अनर्थ
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मेरे हमसफ़र 💗💗🙏🏻🙏🏻🙏🏻
मेरे हमसफ़र 💗💗🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Seema gupta,Alwar
मेरी माटी मेरा देश....
मेरी माटी मेरा देश....
डॉ.सीमा अग्रवाल
"अनाज"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
Lines of day
Lines of day
Sampada
Work hard and be determined
Work hard and be determined
Sakshi Tripathi
आब त रावणक राज्य अछि  सबतरि ! गाम मे ,समाज मे ,देशक कोन - को
आब त रावणक राज्य अछि सबतरि ! गाम मे ,समाज मे ,देशक कोन - को
DrLakshman Jha Parimal
नीला अम्बर नील सरोवर
नीला अम्बर नील सरोवर
डॉ. शिव लहरी
जीवन के सफ़र में
जीवन के सफ़र में
Surinder blackpen
*डॉंटा जाता शिष्य जो, बन जाता विद्वान (कुंडलिया)*
*डॉंटा जाता शिष्य जो, बन जाता विद्वान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कविता
कविता
Rambali Mishra
मुझे अकेले ही चलने दो ,यह है मेरा सफर
मुझे अकेले ही चलने दो ,यह है मेरा सफर
कवि दीपक बवेजा
3251.*पूर्णिका*
3251.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हे कलम
हे कलम
Kavita Chouhan
झूठी साबित हुई कहावत।
झूठी साबित हुई कहावत।
*Author प्रणय प्रभात*
मैं गीत हूं ग़ज़ल हो तुम न कोई भूल पाएगा।
मैं गीत हूं ग़ज़ल हो तुम न कोई भूल पाएगा।
सत्य कुमार प्रेमी
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
MEENU
कभी-कभी ऐसा लगता है
कभी-कभी ऐसा लगता है
Suryakant Dwivedi
चाँद सा मुखड़ा दिखाया कीजिए
चाँद सा मुखड़ा दिखाया कीजिए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हसरतें हर रोज मरती रहीं,अपने ही गाँव में ,
हसरतें हर रोज मरती रहीं,अपने ही गाँव में ,
Pakhi Jain
यहाँ प्रयाग न गंगासागर,
यहाँ प्रयाग न गंगासागर,
Anil chobisa
अकेले हुए तो ये समझ आया
अकेले हुए तो ये समझ आया
Dheerja Sharma
Loading...