जुनून
डॉ अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
* जुनून *
मेरी फितरत मरेगी तो
मेरा जुनून भी जाएगा मर ।
तूझे प्यार करना होगा
मुझसे इन्हीं हालात में
मैं जैसा हूँ मेरी जाने जिगर ।
बदल जाना तो बहुत आसां हैं
बदल जाते हैं लोग आसानी से ।
मेरी फितरत मरेगी तो
मेरा जुनून भी जाएगा मर ।
सिखाया है मुझे मेरे वालदेन ने ।
बदलते हालात में बदलना मत ।
बनूँगा हीरो से जीरो मैं
मिरी किस्मत भी बदल जाएगी ।
मेरी फितरत मरेगी तो
मेरा जुनून भी जाएगा मर ।
अरे वो आदमी कैसा ,
जो पल – पल में बदल जाए ।
भरे हो रंग गिरगिट के ।
और तूफ़ान से डर जाए ।
मिरी फितरत ही तो
मेरी इकलौती पहचान है जग में ।
मेरी फितरत मरेगी तो
मेरा जुनून भी जाएगा मर ।