जीवन लहर
ये समंदर है कि जैसे जीवन के रुह की डगर,
अपने मे समेटे हुए लाखों गहरे राज
न जाने क्यो मेरे दिल की बात बोलती ये लहरे
किनारे तक आकर लौट जाना न जाने क्यों
जीवन चक्र की बात बोल जाती हैं अनकहे ही
न जाने कितने ही नए पुराने दर्द कैद समंदर में,
वो हमराज भी है अतीत का, ओर राहे सफर भी
लहरे अपनी लहर से बयान करती हैं राजेखताएँ
है महक उसकी लहरों में गीता की सच्चाई सी
उसकी तारीफ यों मुमकिन नही पर अतुलनीय लहरे
क्योकि असीमित गहराई लिए वह स्वयं मैं भी
लहरों में खोज रही हूँ अपने को भीतर उमड़ी आग को
उसकी लहरों में दिखाई देती हैं जहाजो की आभा
जैसे ख्वाबों की,दुनिया सामने हो सच मे
इन लहरों में जीवन की हकीकत जो भरी हुई ही है
एक बहती लहर बताती हैं रिश्तों की दास्ताँ
मन के गहरे राज को अपने मे समेटे हुए लहर रूप में
उसमें शामिल सूर्य किरणे मानो स्वर्णिम आभा फैलती
वो चमक है जैसे ईश्वर ने सवर्ण का जाल डाल दिया हो
लहरों के दामन में तारों की मुस्कराहटें सी दिखाई देती हैं