जीवन में नम्रता
है नम्रता
इन्सान का
आभूषण
नम्र बनों
इज्जत पाओ
चाहते सब
अपने, अपनों का
अपनापन
नम्र बन
पाते सब
झूकता हर
नम्र जगत
फल लगे
झूकते वृक्ष
संस्कारी बच्चे
झूकते माता पिता
के चरणों में
पाते आशीर्वाद
उनका भरपूर
दें जीवनसाथी
नम्रता का परिचय
जीवन में
सुखी खुशहाल
रहे उनका जीवन
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल