जीवन चलने का नाम
जो ठहर जाए
वो जिंदगी कहाँ।
गम, मुश्किले,अड़चने
तनाव,ठहराव
आते है मौसमो की तरह
और गुजर जाते है।
चलती रहती है जिंदगी
कभी रफ्ता रफ्ता
कभी भागती हुई सरपट।
जीवन की संजीवनी
रिश्तो में घुला
प्यार और गर्माहट।
अपनेपन का अमृत
जीवन को बनाता
है अर्थवान।
और हममे भर देता है
जिंदगी को भरपूर
जीने का जज्बा।
लब पे आती है दुआ
अपनी जड़ो से दूर न हो।
आसमान छोटा सा तो है
खुद में तलाश लो ईश्वर।
थोड़ा सा वक्त हो
अपनों के लिए
एक निगाह सतत
जागरूक और चौकन्नी।
कागज के फूल
खुशबु कहाँ से लायेगे
जिंदगी बदलती रहे पल पल।।