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18 Feb 2024 · 1 min read

बेटी

बेटी
घर में घुसत तो पुकारत चलत चाव,
देखत रिझावत सुता वो सुखकारी है
धावत झपट चल बाबुल को देवे नीर,
कन्या तो स्वभाव से ही पितु की दुलारी है
घूम घूम आंगन में खेले औ मचावे धूम,
डोले औ किलोले वा करत किलकारी है
सूना सा लगे वो घर बेटी हो जहाँ पे नहीं
बाबुल की वाटिका की बेटी फुलवारी है।।

Language: Hindi
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