Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Apr 2024 · 1 min read

“जीना”

“जीना”
जिन्दगी जीना तो हमने
गुलाब से सीखा,
कोई मतलब नहीं यहाँ
रो रो के जीने में।

3 Likes · 3 Comments · 156 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
समझदारी शांति से झलकती हैं, और बेवकूफ़ी अशांति से !!
समझदारी शांति से झलकती हैं, और बेवकूफ़ी अशांति से !!
Lokesh Sharma
घटा घनघोर छाई है...
घटा घनघोर छाई है...
डॉ.सीमा अग्रवाल
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
नये अमीर हो तुम
नये अमीर हो तुम
Shivkumar Bilagrami
सूर्ययान आदित्य एल 1
सूर्ययान आदित्य एल 1
Mukesh Kumar Sonkar
बालबीर भारत का
बालबीर भारत का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
" वाई फाई में बसी सबकी जान "
Dr Meenu Poonia
उम्मीद की आँखों से अगर देख रहे हो,
उम्मीद की आँखों से अगर देख रहे हो,
Shweta Soni
" क्यों "
Dr. Kishan tandon kranti
#आदरांजलि
#आदरांजलि
*प्रणय*
बह्र 2122 1122 1122 22 अरकान-फ़ाईलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन काफ़िया - अर रदीफ़ - की ख़ुशबू
बह्र 2122 1122 1122 22 अरकान-फ़ाईलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन काफ़िया - अर रदीफ़ - की ख़ुशबू
Neelam Sharma
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आस
आस
Shyam Sundar Subramanian
*नौकरपेशा लोग रिटायर, होकर मस्ती करते हैं (हिंदी गजल)*
*नौकरपेशा लोग रिटायर, होकर मस्ती करते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
न जाने कौन रह गया भीगने से शहर में,
न जाने कौन रह गया भीगने से शहर में,
शेखर सिंह
आपके पास धन इसलिए नहीं बढ़ रहा है क्योंकि आपकी व्यावसायिक पक
आपके पास धन इसलिए नहीं बढ़ रहा है क्योंकि आपकी व्यावसायिक पक
Rj Anand Prajapati
चूल्हे की रोटी
चूल्हे की रोटी
प्रीतम श्रावस्तवी
बड़े-बड़े सपने देखते हैं लोग
बड़े-बड़े सपने देखते हैं लोग
Ajit Kumar "Karn"
जो कर्म किए तूने उनसे घबराया है।
जो कर्म किए तूने उनसे घबराया है।
सत्य कुमार प्रेमी
खुली क़िताब पढ़ने एक उम्र बिताना ज़रूरी है,
खुली क़िताब पढ़ने एक उम्र बिताना ज़रूरी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यादों के बीज बिखेर कर, यूँ तेरा बिन कहे जाना,
यादों के बीज बिखेर कर, यूँ तेरा बिन कहे जाना,
Manisha Manjari
*
*"गुरुदेव"*
Shashi kala vyas
2933.*पूर्णिका*
2933.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हमने आवाज़ देके देखा है
हमने आवाज़ देके देखा है
Dr fauzia Naseem shad
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जिस अयोध्या नगरी और अयोध्या वासियों को आप अपशब्द बोल रहे हैं
जिस अयोध्या नगरी और अयोध्या वासियों को आप अपशब्द बोल रहे हैं
Rituraj shivem verma
अपने ज्ञान को दबा कर पैसा कमाना नौकरी कहलाता है!
अपने ज्ञान को दबा कर पैसा कमाना नौकरी कहलाता है!
Suraj kushwaha
عزت پر یوں آن پڑی تھی
عزت پر یوں آن پڑی تھی
अरशद रसूल बदायूंनी
जरूरी बहुत
जरूरी बहुत
surenderpal vaidya
बाजार
बाजार
PRADYUMNA AROTHIYA
Loading...