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8 May 2024 · 1 min read

जरूरी बहुत

गीतिका
~~
जरूरी बहुत तिश्नगी को बुझाना।
इसी हेतु है व्यस्त सारा जमाना।

मुहब्बत इसी को कहा है सभी ने।
सभी चाहते लुत्फ इसका उठाना।

मिलन की उठी प्यास तीखी बहुत है।
हमें है सभी दूरियों को मिटाना।

यहां कौन तृष्णा रहित है जहां में।
हमें नित्य है स्नेह निर्झर बहाना।

सघन सावनी घन घिरे हैं गगन में।
बरस कर धरा को सरस है बनाना।

बुझे प्यास सबकी बहे स्नेह निर्झर।
हमें है यहां हर नदी को बचाना।
~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०८/०५/२०२४

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