जीतो खुद को आज तुम
गीत-“जीतो खुद को आज तुम”
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जीतो खुद को आज तुम,लोगे कल जग जीत।
पहले खिलता फूल है,ख़ुशबू के फिर गीत।।
गिरते उठते राह में,चलते रहना झूम।
मंज़िल पाकर एक दिन,मच जाएगी धूम।
कमियाँ गिनते रोज जो,गुण गाएँगे मीत।
पहले खिलता फूल है,ख़ुशबू के फिर गीत।।
हँसके करना काम सब,रखना सीधी सोच।
शीतल बाणी बोल के,पत्थर में हो लोच।
ग़म के लम्हें जोश से,पल में जाएँ बीत।
पहले खिलता फूल है,ख़ुशबू के फिर गीत।।
सोचो हरपल नेक तुम,हक की करना बात।
चर्चे चलते खास के,सदियों की सौग़ात।
दिल का सौदा प्यार है,धोखे की ना रीत।
पहले खिलता फूल है,ख़ुशबू के फिर गीत।।
प्रीतम यादें काम की,बाकी माया खेल।
समझे ज्ञानी राज है,पागल फिसले तेल।
हारो दौलत लाख तुम,जीतो सच्ची प्रीत।
पहले खिलता फूल है,ख़ुशबू के फिर गीत।।
जीतो खुद को आज तुम,लोगे कल जग जीत।
पहले खिलता फूल है,ख़ुशबू के फिर गीत।।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
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