Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jan 2019 · 1 min read

जीतो खुद को आज तुम

गीत-“जीतो खुद को आज तुम”
?????????
जीतो खुद को आज तुम,लोगे कल जग जीत।
पहले खिलता फूल है,ख़ुशबू के फिर गीत।।

गिरते उठते राह में,चलते रहना झूम।
मंज़िल पाकर एक दिन,मच जाएगी धूम।
कमियाँ गिनते रोज जो,गुण गाएँगे मीत।
पहले खिलता फूल है,ख़ुशबू के फिर गीत।।

हँसके करना काम सब,रखना सीधी सोच।
शीतल बाणी बोल के,पत्थर में हो लोच।
ग़म के लम्हें जोश से,पल में जाएँ बीत।
पहले खिलता फूल है,ख़ुशबू के फिर गीत।।

सोचो हरपल नेक तुम,हक की करना बात।
चर्चे चलते खास के,सदियों की सौग़ात।
दिल का सौदा प्यार है,धोखे की ना रीत।
पहले खिलता फूल है,ख़ुशबू के फिर गीत।।

प्रीतम यादें काम की,बाकी माया खेल।
समझे ज्ञानी राज है,पागल फिसले तेल।
हारो दौलत लाख तुम,जीतो सच्ची प्रीत।
पहले खिलता फूल है,ख़ुशबू के फिर गीत।।

जीतो खुद को आज तुम,लोगे कल जग जीत।
पहले खिलता फूल है,ख़ुशबू के फिर गीत।।

राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
————————————

Language: Hindi
Tag: गीत
319 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from आर.एस. 'प्रीतम'
View all
You may also like:
कुंए में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है
कुंए में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है
शेखर सिंह
गर बिछड़ जाएं हम तो भी रोना न तुम
गर बिछड़ जाएं हम तो भी रोना न तुम
Dr Archana Gupta
पग मेरे नित चलते जाते।
पग मेरे नित चलते जाते।
Anil Mishra Prahari
खुशी की खुशी
खुशी की खुशी
चक्षिमा भारद्वाज"खुशी"
संस्कारों का चोला जबरजस्ती पहना नहीं जा सकता है यह
संस्कारों का चोला जबरजस्ती पहना नहीं जा सकता है यह
Sonam Puneet Dubey
नेता पक रहा है
नेता पक रहा है
Sanjay ' शून्य'
क्यों अब हम नए बन जाए?
क्यों अब हम नए बन जाए?
डॉ० रोहित कौशिक
मन बहुत चंचल हुआ करता मगर।
मन बहुत चंचल हुआ करता मगर।
surenderpal vaidya
‘’The rain drop from the sky: If it is caught in hands, it i
‘’The rain drop from the sky: If it is caught in hands, it i
Vivek Mishra
जिंदगी
जिंदगी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तुम
तुम
Tarkeshwari 'sudhi'
मिट जाए हर फ़र्क जब अज़ल और हयात में
मिट जाए हर फ़र्क जब अज़ल और हयात में
sushil sarna
*गृहस्थ संत स्वर्गीय बृजवासी लाल भाई साहब*
*गृहस्थ संत स्वर्गीय बृजवासी लाल भाई साहब*
Ravi Prakash
"मुलाजिम"
Dr. Kishan tandon kranti
परिंदा
परिंदा
VINOD CHAUHAN
‘निराला’ का व्यवस्था से विद्रोह
‘निराला’ का व्यवस्था से विद्रोह
कवि रमेशराज
यूं ही कुछ लिख दिया था।
यूं ही कुछ लिख दिया था।
Taj Mohammad
सूखी नहर
सूखी नहर
मनोज कर्ण
3368.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3368.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
इक रोज़ मैं सोया था,
इक रोज़ मैं सोया था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
खामोशी : काश इसे भी पढ़ लेता....!
खामोशी : काश इसे भी पढ़ लेता....!
VEDANTA PATEL
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सरस्वती वंदना-3
सरस्वती वंदना-3
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
सत्याधार का अवसान
सत्याधार का अवसान
Shyam Sundar Subramanian
बड़ी तक़लीफ़ होती है
बड़ी तक़लीफ़ होती है
Davina Amar Thakral
प्रेम और आदर
प्रेम और आदर
ओंकार मिश्र
बाधाएं आती हैं आएं घिरे प्रलय की घोर घटाएं पावों के नीचे अंग
बाधाएं आती हैं आएं घिरे प्रलय की घोर घटाएं पावों के नीचे अंग
पूर्वार्थ
मशाल
मशाल
नेताम आर सी
नया साल
नया साल
अरशद रसूल बदायूंनी
16. आग
16. आग
Rajeev Dutta
Loading...