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9 May 2023 · 1 min read

निर्लोभी राम(कुंडलिया)

निर्लोभी राम(कुंडलिया)
_______________________________
जीती लंका स्वर्णमय , पर निर्लोभी राम
स्वर्ण लुभाया कब उन्हें ,बोले मातु प्रणाम
बोले मातु प्रणाम , जन्मभू जननी थाती
धन्य अयोध्या धाम ,गंध ममता की आती
कहते रवि कविराय ,बजा रघुकुल का डंका
घर को लौटे राम , छोड़कर जीती लंका
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
थाती = धरोहर ,संचित धन
जननी = माँ
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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