जीतने के लिये हारना
लाख गहरे हो घाव,
भर जाते हैं,
कम से कम,
अपनों के दिये ना हो,
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टूट जाते हैं अक्सर,
आइने,
अपना फर्ज़ नहीं भूलते,
हर वो टुकड़ा,
आपको आपकी शक्ल,
दिखाया करते हैं ✍️
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सीख कर आये नहीं,
दबाया गया है,
तम्बाकू है साहब,
जितने दबाया,
कडुवा होता है,
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खैर अमावस है.
घर घर दीप जले,
जिंदगी आपकी है,
पसंद भी आपकी
बेमिसाल बने …
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डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस