जीतकर हार जाना पड़ा
दौर पढ़ने का ‘ था पर कमाना पड़ा
बोझ बचपन से’ घर का उठाना पड़ा
हर त’अल्लुक हमें यूं निभाना पड़ा
जीत कर भी सदा हार जाना पड़ा
बेबसी कौन सी, आ गई सामने
बेवजह सर कहीं भी झुकाना पड़ा
हर क़दम पर ज़माने को’ जीता मगर
घर के’ अंदर हमें हार जाना पड़ा
एक अफवाह थी आएंगे वह इधर
पागलों की तरह घर सजाना पड़ा
जब कुरेदा गया खूब बदबू उड़ी
इस सबब ही ज़ुबां को दबाना पड़ा
गैब से ही मिली है हमेशा मदद
जब यह पीछे कभी भी ज़माना पड़ा