जिसमें सच का बल भरा ,कहाँ सताती आँच(कुंडलिया)
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जिसमें सच का बल भरा ,कहाँ सताती आँच(कुंडलिया)
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जिसमें सच का बल भरा ,कहाँ सताती आँच
हीरे की कीमत अलग ,अलग मूल्य का काँच
अलग मूल्य का काँच ,सत्य निर्भीक विचरता
सम्मुख चाहे काल , नहीं किंचित भी डरता
कहते रवि कविराय , भला हिम्मत है किसमें
ललकारे जो सत्य , लबालब शुचिता जिसमें
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451