* जिसने किए प्रयास *
** गीतिका **
~~
मंजिल उसको मिल गई, जिसने किए प्रयास।
लेकिन था कुछ ने किया, कोशिश का उपहास।
गांठ बांध कर हम रखें, जीवन का यह सत्य।
यत्न जहां रुकते नहीं, मंजिल आती पास।
सदा धैर्य से काम लें, करते रहें प्रयत्न।
धीरे धीरे ही सदा, होता सही विकास।
खुली सोच से काम लें, खुला गगन हर ओर।
बड़े वृक्ष की छांव में, उगती केवल घास।
उचित वस्तु का वक्त पर, कर लें शीघ्र चुनाव।
पानी से ही बुझ सके, ग्रीष्म समय की प्यास।
पथ में फिसलन शूल सब, आते बारंबार।
बस आगे बढ़ते रहो, होना नहीं उदास।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २२/११/२०२३