Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jun 2020 · 1 min read

जिंदगी

रोज दिन निकलता है
और शाम होती है
जिंदगी रफ्ता रफ्ता
यूँ तमाम होती है

सुख दुख के मेले हैं
और कई झमेले हैं
आदमी ने शदियों से
यही सब तो झेले हैं

कभी कभी खूब खास
कभी आम होती है
जिंदगी रफ्ता रफ्ता
यूँ तमाम होती है

कोई कहे ऐंसे जियो
कोई कहे वैसे जियो
जिंदगी विष व अमृत
कोई कहे ऐंसे पियो

भ्रम की इन बातों से
ही हराम होती है
जिंदगी रफ्ता रफ्ता
यूँ तमाम होती है

Language: Hindi
1 Like · 211 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कुछ लिखूँ ....!!!
कुछ लिखूँ ....!!!
Kanchan Khanna
कि लड़का अब मैं वो नहीं
कि लड़का अब मैं वो नहीं
The_dk_poetry
आ गई रंग रंगीली, पंचमी आ गई रंग रंगीली
आ गई रंग रंगीली, पंचमी आ गई रंग रंगीली
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
राह तक रहे हैं नयना
राह तक रहे हैं नयना
Ashwani Kumar Jaiswal
धार्मिक असहिष्णुता की बातें वह व्हाट्सप्प पर फैलाने लगा, जात
धार्मिक असहिष्णुता की बातें वह व्हाट्सप्प पर फैलाने लगा, जात
DrLakshman Jha Parimal
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: ओं स्वर रदीफ़ - में
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: ओं स्वर रदीफ़ - में
Neelam Sharma
*सीता जी : छह दोहे*
*सीता जी : छह दोहे*
Ravi Prakash
भ्रम
भ्रम
Dr.Priya Soni Khare
किताब
किताब
Neeraj Agarwal
गल्प इन किश एंड मिश
गल्प इन किश एंड मिश
प्रेमदास वसु सुरेखा
फितरत आपकी जैसी भी हो
फितरत आपकी जैसी भी हो
Arjun Bhaskar
जै जै अम्बे
जै जै अम्बे
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सौंदर्यबोध
सौंदर्यबोध
Prakash Chandra
वो ख़्वाहिशें जो सदियों तक, ज़हन में पलती हैं, अब शब्द बनकर, बस पन्नों पर बिखरा करती हैं।
वो ख़्वाहिशें जो सदियों तक, ज़हन में पलती हैं, अब शब्द बनकर, बस पन्नों पर बिखरा करती हैं।
Manisha Manjari
माता- पिता
माता- पिता
Dr Archana Gupta
सरस रंग
सरस रंग
Punam Pande
उर्दू
उर्दू
Surinder blackpen
2776. *पूर्णिका*
2776. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
यादों के झरने
यादों के झरने
Sidhartha Mishra
सीख
सीख
Dr.Pratibha Prakash
सूर्य अराधना और षष्ठी छठ पर्व के समापन पर प्रकृति रानी यह सं
सूर्य अराधना और षष्ठी छठ पर्व के समापन पर प्रकृति रानी यह सं
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
शिष्टाचार एक जीवन का दर्पण । लेखक राठौड़ श्रावण सोनापुर उटनुर आदिलाबाद
शिष्टाचार एक जीवन का दर्पण । लेखक राठौड़ श्रावण सोनापुर उटनुर आदिलाबाद
राठौड़ श्रावण लेखक, प्रध्यापक
#लोकपर्व-
#लोकपर्व-
*Author प्रणय प्रभात*
खुद से मिल
खुद से मिल
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
स्वयं पर विश्वास
स्वयं पर विश्वास
Dr fauzia Naseem shad
आ अब लौट चले
आ अब लौट चले
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
ओह भिया क्या खाओगे ?
ओह भिया क्या खाओगे ?
Dr. Mahesh Kumawat
"हमारे दर्द का मरहम अगर बनकर खड़ा होगा
आर.एस. 'प्रीतम'
मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
Dr Tabassum Jahan
नीम
नीम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...