जिंदगी
कहते हैं सब लोग ज़िंदगी जीवन में,नहीं मिलती है किसी को दुबारा।
बस एक ज़िंदगी और एक ही जीवन,इसे सँवारो मिलकर सबसे प्यारा।।
ज़िंदगी की हर अवस्था को जिसने,अच्छे कार्य कर अपने बल पर संवारा।
ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ मिलती हैं उसको,और सँवर जाये जीवन उसका सारा।।
हर व्यक्ति की अलग है ज़िंदगी,कभी ना इसकी तुलना किसी से कर पाएगा।
और करे जो तुलना जाने अंजाने,वह इस प्रतियोगिता में पक्का हार जाएगा।।
प्लान करो सब अपना जीवन और अपने प्लान के लिए ही सारे कार्य करो।
कठिनायियों का करो सामना और अपने जीवन के हर सच को स्वीकार करो।।
बिखर जाएगी ज़िंदगी उसकी,जीवन में सच से जो ना लड़ पायेगा।
और मंज़िल मिलेगी उस व्यक्ति को,जो सच्चे मन से सफ़र पर जायेगा।।
माना ये ज़िंदगी है चार दिन की यारों,लेकिन ये चार दिन भी बहुत होते हैं।
जो खुल के ज़िंदगी जीते है जग में, वो ही हँसते है बाक़ी तो बस सब रोते हैं।।
कहे विजय बिजनौरी पूछो ख़ुद से ज़िंदगी ने कहाँ पर तुमको छोड़ा है।
जिसे रास आ गया सफ़र वो खुश,और रास ना आए तो मरना भी थोड़ा है।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।