जिंदगी
शीर्षक- जिंदगी
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जिंदगी एक अभिलाषा होती हैं।
हां सच तेरे मेरे बीच शब्दों में जिंदगी होती हैं।
बस सोच के साथ दिल और मन होता हैं ।
मन भावों में बसी जो तस्वीर होती हैं।
वो तेरी यादों के साथ जिंदगी कहती हैं।
हम सभी अपने अरमानों को बंद रखते हैंं।
हम सभी ईश्वर से अपने कर्म रखते हैं।
पिछले जन्म की गलतियों को मानते हैं।
सच और झूठ स्वीकार करते हैं । जिंदगी और जन्म सब हमारे साथ होते हैं।
हम सभी साथ-साथ जिंदगी की चाहत रखते हैं।
न शरीर न मिलन की सोच करतें हैं।
एक हंसी के साथ तेरा दीदार चाहते हैं।
हां जिंदगी यूं ही गुजर जाती हैं।
हम खुद को तेरा हमसफ़र मानते हैं।
बस जन्म और कर्म फल जिंदगी की अभिलाषा सोचते हैं । ……..
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र*