जिंदगी के सफर में
जिंदगी के इस सफर में हम मुसाफिर हां
आते पडा़व अनेक सबसे पड़ता गुजरना
सुहाना बचपन फिर मस्तानी जवानी
सहमा बुढा़पा कह चलते फिर अलविदा
समझ कर रखते पग है हर सफर उम्दा
हंस कर रहना दूसरों को भी हंसा देना
जिंदगी के सफर कल का क्या भरोसा
जो बीत गया सो गया कल की क्यों कर चिंता
छोटी सी छोटी बातो से जा ढूंढ ला खुशियां
रे मानव !पाकर रोज तू उनसे उत्सव मना
हां, हो भी सकती है कभी मुश्किल की निशा
हिम्मत का चोला पहन हौंसला बनाए रखना
उम्मीदों का आशियाना सदा मन में रखना सजा
सफर में शाम है तो कल फिर होता ही है सवेरा
जिंदगी की ऊचीं-नीची डगर के हम सारे मुसाफिर
बांट कर सुख दुःख मुसाफिर बस गीत गाता जा।
-सीमा गुप्ता,अलवर (राजस्थान)