“जाति”
“जाति”
ऐ जाति !
तू जाती क्यों नहीं,
अपने नाम के अनुरूप
तू ये काम कर,
सारी बेड़ियाँ तोड़
खुद को बन्धन मुक्त कर।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“जाति”
ऐ जाति !
तू जाती क्यों नहीं,
अपने नाम के अनुरूप
तू ये काम कर,
सारी बेड़ियाँ तोड़
खुद को बन्धन मुक्त कर।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति