Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jun 2023 · 1 min read

दूर मजदूर

प्रभुजी तुमने ही बनाया ये जग
ये नदियां,ये मैदान और पहाड़ ।
मैनें तो बस मोड़ी है नदियां
खोदे मैदान और तोड़े पहाड़ ।

हाँ तुमने ही बनाए पेड़-पौधे
कीट-पतंगे,पशु-पक्षी प्यारे-प्यारे ।
मैनें तो बस उगाई फसलें
रेशम,केसर,मधु,घी बनाए सारे ।

तुमने बनाई सारी सृष्टि सुंदर
कही पर्वत कही नदिया समंदर ।
पर मैनें भी बनाए तेरे लिए मंदिर
पत्थर तराश तुम्हें बिठाया अंदर ।

तुम बने ब्रह्मा,विश्वकर्मा,सृजनहार
मैं बना ध्याड़ी मजदूर बंधुवा,बेगार ।
पर तुम्हारे भी तो मंदिर दो चार
क्या तुम भी किसी वाद का शिकार ?

जब तक तो थे अव अमूर्त तुम
मैंने तराश किया श्रंगार अतिउत्तम ।
पर तुम्हारी प्राण-प्रतिष्ठा के बाद
मैं रह गया अछूत,अस्पृश्य,असंवाद ।

प्रभुजी तुम्हें तो है पूजा जाता
सृष्टि और निर्माण का देवता ।
निर्माण के लिए ईट,बजरी-रेता
मैं बस रह गया सिर में ढोता ।

न लगी तेरी सृष्टि में कोई कमी
ना ही तो मेरी मेहनत थी थमी ।
पर एक क्षुद्र निकृष्ट सोच ने
बाँट दिया ये आसमाँ ये जमीं ।

मैं मजदूर हूं क्यों अब दूर रहूं
मजदूर हूं तो क्यों मजबूर रहूं ।
चाहे बेशक थक के चूर रहूं
पर नाहक हक से क्यों दूर रहूं ।
मेहनत कर कष्ट,संघर्ष सहू
क्यों न श्रम की महत्ता का मर्म कहूं ।
~०~
मौलिक एवं स्वरचित : रचना संख्या-१४
जीवनसवारो,मई २०२३.

Language: Hindi
227 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
View all
You may also like:
एक सत्य
एक सत्य
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
साल को बीतता देखना।
साल को बीतता देखना।
Brijpal Singh
अगर आप हमारी मोहब्बत की कीमत लगाने जाएंगे,
अगर आप हमारी मोहब्बत की कीमत लगाने जाएंगे,
Kanchan Alok Malu
#प्रसंगवश...
#प्रसंगवश...
*Author प्रणय प्रभात*
कोंपलें फिर फूटेंगी
कोंपलें फिर फूटेंगी
Saraswati Bajpai
कस्ती धीरे-धीरे चल रही है
कस्ती धीरे-धीरे चल रही है
कवि दीपक बवेजा
यूँ  भी  हल्के  हों  मियाँ बोझ हमारे  दिल के
यूँ भी हल्के हों मियाँ बोझ हमारे दिल के
Sarfaraz Ahmed Aasee
तुम रंगदारी से भले ही,
तुम रंगदारी से भले ही,
Dr. Man Mohan Krishna
17 जून 2019 को प्रथम वर्षगांठ पर रिया को हार्दिक बधाई
17 जून 2019 को प्रथम वर्षगांठ पर रिया को हार्दिक बधाई
Ravi Prakash
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
"दान"
Dr. Kishan tandon kranti
कबीरपंथ से कबीर ही गायब / मुसाफ़िर बैठा
कबीरपंथ से कबीर ही गायब / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
स्वार्थी नेता
स्वार्थी नेता
पंकज कुमार कर्ण
“आखिर मैं उदास क्यूँ हूँ?
“आखिर मैं उदास क्यूँ हूँ?
DrLakshman Jha Parimal
जय भोलेनाथ
जय भोलेनाथ
Anil Mishra Prahari
शिक्षा व्यवस्था
शिक्षा व्यवस्था
Anjana banda
आंखें मेरी तो नम हो गई है
आंखें मेरी तो नम हो गई है
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
Agar padhne wala kabil ho ,
Agar padhne wala kabil ho ,
Sakshi Tripathi
गुत्थियों का हल आसान नही .....
गुत्थियों का हल आसान नही .....
Rohit yadav
इतिहास गवाह है ईस बात का
इतिहास गवाह है ईस बात का
Pramila sultan
व्यवहार अपना
व्यवहार अपना
Ranjeet kumar patre
आधुनिक युग में हम सभी जानते हैं।
आधुनिक युग में हम सभी जानते हैं।
Neeraj Agarwal
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकें।
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकें।
Dr. Narendra Valmiki
खूबसूरत पड़ोसन का कंफ्यूजन
खूबसूरत पड़ोसन का कंफ्यूजन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
धार में सम्माहित हूं
धार में सम्माहित हूं
AMRESH KUMAR VERMA
मीठे बोल या मीठा जहर
मीठे बोल या मीठा जहर
विजय कुमार अग्रवाल
पधारो मेरे प्रदेश तुम, मेरे राजस्थान में
पधारो मेरे प्रदेश तुम, मेरे राजस्थान में
gurudeenverma198
इजाज़त है तुम्हें दिल मेरा अब तोड़ जाने की ।
इजाज़त है तुम्हें दिल मेरा अब तोड़ जाने की ।
Phool gufran
पेड़ नहीं, बुराइयां जलाएं
पेड़ नहीं, बुराइयां जलाएं
अरशद रसूल बदायूंनी
वृद्धाश्रम इस समस्या का
वृद्धाश्रम इस समस्या का
Dr fauzia Naseem shad
Loading...