Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jun 2018 · 1 min read

जवान हिन्द के

जवान हिन्द के
**************
हिन्द के जवान हो
वीर तुम महान हो
राष्ट्र को आतंक से
आज अब बचाइये।
वीरता अदम्य है
वीर आप धन्ध है
शत्रु के शीश को
काटते ही जाइये।
राष्ट्र यह अखण्ड है
तेज भी प्रचण्ड है
राष्ट्र के सम्मान में
राष्ट्र गान गाइये।
राष्ट्र का न खण्ड हो
अस्मिता न भंग हो
राष्ट्रद्रोहीयों को अब
मार कर भगाइये।
सर्वधर्म ध्वजा यहाँ
फहरे ये वो जहां
मिलजुल कर सभी
अमन व चैन लाइये।
जय जय माँ भारती
चलो करें आरती
राष्ट्र के सम्मान में
शीश अपना झुकाइये।
……
✍ ✍ पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 232 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
"कोई क्या समझाएगा उसे"
Ajit Kumar "Karn"
तेरी सारी बलाएं मैं अपने सर लेंलूं
तेरी सारी बलाएं मैं अपने सर लेंलूं
Rekha khichi
लेकिन कैसे हुआ मैं बदनाम
लेकिन कैसे हुआ मैं बदनाम
gurudeenverma198
चाहत है बहुत उनसे कहने में डर लगता हैं
चाहत है बहुत उनसे कहने में डर लगता हैं
Jitendra Chhonkar
आपके मन में विचारों का आवागमन जितना कम होगा, जीवन की यात्रा
आपके मन में विचारों का आवागमन जितना कम होगा, जीवन की यात्रा
ललकार भारद्वाज
चंद अशआर
चंद अशआर
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
मैं जिन्दगी में
मैं जिन्दगी में
Swami Ganganiya
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
कहानी-
कहानी- "खरीदी हुई औरत।" प्रतिभा सुमन शर्मा
Pratibhasharma
*पुरखों की संपत्ति बेचकर, कब तक जश्न मनाओगे (हिंदी गजल)*
*पुरखों की संपत्ति बेचकर, कब तक जश्न मनाओगे (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
आपका हर दिन तरक्की बाला हो,
आपका हर दिन तरक्की बाला हो,
Phool gufran
4961.*पूर्णिका*
4961.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
एक सच ......
एक सच ......
sushil sarna
*Lesser expectations*
*Lesser expectations*
Poonam Matia
इंसान को अपनी भाषा में रोना चाहिए, ताकि सामने वालों को हंसने
इंसान को अपनी भाषा में रोना चाहिए, ताकि सामने वालों को हंसने
*प्रणय*
सलामी दें तिरंगे को हमें ये जान से प्यारा
सलामी दें तिरंगे को हमें ये जान से प्यारा
आर.एस. 'प्रीतम'
इस शहर में कितने लोग मिले कुछ पता नही
इस शहर में कितने लोग मिले कुछ पता नही
पूर्वार्थ
जी तो हमारा भी चाहता है ,
जी तो हमारा भी चाहता है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
हँसते हैं, पर दिखाते नहीं हम,
हँसते हैं, पर दिखाते नहीं हम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कौन कहता है गर्मी पड़ रही है
कौन कहता है गर्मी पड़ रही है
Shweta Soni
अफ़सोस
अफ़सोस
Dipak Kumar "Girja"
चार मुक्तक
चार मुक्तक
Suryakant Dwivedi
When winter hugs
When winter hugs
Bidyadhar Mantry
"सब्र का आसमान"
Dr. Kishan tandon kranti
इन्तिज़ार,
इन्तिज़ार,
हिमांशु Kulshrestha
प्रेम
प्रेम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
,✍️फरेब:आस्तीन के सांप बन गए हो तुम...
,✍️फरेब:आस्तीन के सांप बन गए हो तुम...
पं अंजू पांडेय अश्रु
करूँ प्रकट आभार।
करूँ प्रकट आभार।
Anil Mishra Prahari
संवेदनाओं में है नई गुनगुनाहट
संवेदनाओं में है नई गुनगुनाहट
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बाहर से लगा रखे ,दिलो पर हमने ताले है।
बाहर से लगा रखे ,दिलो पर हमने ताले है।
Surinder blackpen
Loading...